संसार के कुरुक्षेत्र में धर्म पताका लहराती है, आत्मविश्वास से I संसार के कुरुक्षेत्र में धर्म पताका लहराती है, आत्मविश्वास से I
सच की माला जपने वाले इस जग के सारे जोगी झूठे थे! सच की माला जपने वाले इस जग के सारे जोगी झूठे थे!
एक गहन चिंतन के बाद मैंने पिताजी से पूछा- 'ये विविधता में एकता क्या है?' एक गहन चिंतन के बाद मैंने पिताजी से पूछा- 'ये विविधता में एकता क्या है?'
एक प्राचीन प्रथा, एक स्त्री की व्यथा बहुत पहले हमारे राजस्थान की कथा। एक प्राचीन प्रथा, एक स्त्री की व्यथा बहुत पहले हमारे राजस्थान की कथा।
जल छू के लो प्रण, बुन डालो मधुर तरंगिनि। जल छू के लो प्रण, बुन डालो मधुर तरंगिनि।
खुद को गुलामी के पिंजरे से आज़ाद करते हैं, चल खुद पर कुछ विश्वास करते हैं। खुद को गुलामी के पिंजरे से आज़ाद करते हैं, चल खुद पर कुछ विश्वास करते हैं।